नागपुर के हज़रत बाबा ताजुद्दीन औलिया (1861-1925) उन फ़कीरों में से एक थे जिन्हें मुसलमान और हिंदू दोनों ही समान रूप से प्यार करते थे और मानते थे। मुसलमान उन्हें एक महान फ़कीर मानते हैं, जबकि हिंदू उन्हें अवधूत मानते हैं ।
यदि हम उनकी जीवन-कथा पढ़ें, तो हमें यह अहसास होगा कि उन्होंने अपने अनुयायियों की सहायता करने, उनमें विश्वास उत्पन्न करने तथा अंततः उन्हें उच्चतर आध्यात्मिक विकास की ओर मार्गदर्शन करने के लिए, चाहे उनका विश्वास कुछ भी हो, अद्भुत चमत्कार दिखाए हैं।
ऐसा ही एक चमत्कार की बात वणी के राजुर कॉलोनी के रहनेवाले सुरेंद्र कुमार गणेश मिस्त्री ने बताई है।
सुरेंद्र कुमार गणेश मिस्त्री ने बताया कि उनकी शादी को 20 साल हो गए लेकिन उनके बच्चे नहीं थे हर जगह इलाज कराया, मन्नते मांगी,दर्शन किए कहीं कुछ लाभ नहीं हुआ तब हमने हजरत बाबा सैयद मोहम्मद ताजुद्दीन रहमतुल्लाह की दरगाह में हाजिरी लगाई और मन्नत मांगी,बाबा के करम से मुझे 20 साल बाद औलाद हुई।
औलाद होने की खुशी में सुरेंद्र कुमार गणेश मिस्त्री अपने घर राजुर कॉलोनी से नागपुर ताजबाग पदयात्रा कर रहे हैं और उनकी इस पदयात्रा में नागपुर जाते समय विदाई के लिए राजुर पुलिस दल और राजुर कॉलोनी के सभी धर्म के लोगों की उपस्थिति में उनको पदयात्रा की शुभकामनाएं दीं और स्वागत सत्कार किया गया।